रमेश कँवर: मनाली
रांगड़ी कूड़ा संयंत्र में लाखों टन सड़ा हुआ कचरे के पीछे की कहानी केवल भ्रष्टाचार और पैसा कमाना उद्देश्य था।
नगर परिषद मनाली के अध्यक्ष के बयान विरोधाभासी है, वह कभी कह रहें हैं कि बाहर से कूड़ा दो साल से तो अभी पिछली नगर परिषद पर डालते हुए कह रहे हैं कि सात सालों से मंगाया जा रहा है।
समाजसेवी, होटल व्यवसाई एवं कांग्रेस नेता गौतम ठाकुर ने कहा कि नगर परिषद मनाली के अध्यक्ष यह बताएं कि क्या संयंत्र में बिजली उत्पादन का विचार काम कर रही नेक्स्ट जेनरेशन कंपनी का ही था। क्या बिना नगर परिषद मनाली के पार्षदों की सहमति और पालिका के सभी नियमों को ताक पर रख उन्होंने बिजली पैदा करने का कैसे सोच लिया ? जब एक नाली के निर्माण पर दस हज़ार रुपए खर्च आने पर भी पालिका के सभी पार्षद हस्ताक्षर पर प्रस्ताव पारित करते हैं तो ऐसा कैसे संभव हो सकता है कि नेक्स्ट जेनरेशन कंपनी ने खुद ही बिजली उत्पादन के बारे निर्णय ले लिया ? जब सात सालों से कूड़े का पहाड़ बन रहा था तो नप के चुने हुए पार्षद चुप क्यों रहे? उन्होंने कहा कि माननीय एनजीटी में नगर परिषद मनाली के खिलाफ शिकायत दर्ज होने के चलते, एनजीटी ने कड़ी कार्रवाई करते हुए नगर परिषद मनाली पर चार करोड़ साठ लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
नगर परिषद मनाली के अध्यक्ष मनाली की जनता को यह बताएं कि रांगड़ी कूड़ा संयंत्र में बिजली उत्पादन की सोच किन पार्षदों की थी और हाउस में पास हुए प्रस्ताव की प्रति को आम जनता के बीच रखा जाए। जब बिजली का उत्पादन हो ही नहीं रहा था तो इतने वर्षों तक सभी पार्षदों की चुप्पी का राज़ क्या है ? उन्होंने कहा कि माल रोड़ पर थोड़ा सा कचरा डालने पर नप होटल, दुकानदार, ढाबे, रेस्टोरेंट वालों को तो दस पन्द्रह हज़ार रुपए का जुर्माना लगा रही है मगर रांगड़ी में कूड़े के पहाड़ तैयार कर दिए गए । उस पर चुप्पी क्यों साधी हुई है । गौतम ने कहा कि मनाली की जनता कूड़े के पीछे की असल कहानी जानना चाहती है ?