बलराज दत्त से ‘सुनील दत्त’ बनने की कहानी

6 महीने पहले

नेशनल न्यूज़ नेटवर्क

बस कंडक्टर की नौकरी करते हुए सुनील को विचार आया कि जीवन में कुछ बड़ा करने की जरूरत है। सुनील दत्त ने कॉलेज खत्म करने के बाद एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने से पहले रेडियो जॉकी की जॉब की थी। उस वक्त सुनील, रेडियो सेयलॉन में हिंदी के सबसे पसंदीदा अनाउंसर के पद पर थे। बेहतरीन नौकरी होने के बाद भी सुनील के जहन में एक्टर बनने की चाह पनपने लगी और आगे चलकर इसने जुनून का रूप ले लिया।

सुनील दत्त ने वर्षों तक आरजे की नौकरी जारी रखी। वहीं, उनकी किस्मत ने वर्ष 1955 में पलटी मारी और उन्हें पहली फिल्म मिल गई। फिल्म का नाम ‘रेलवे प्लेटफॉर्म’ था, जिसे रमेश सजगल ने डायरेक्टर किया था। हालांकि, यह फिल्म कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई। रमेश सजगल ने ही एक्टर का असली नाम बलराज दत्त बदलकर ‘सुनील दत्त’ रखा था। सुनील को स्टारडम वर्ष 1957 में आई फिल्म ‘मदर इंडिया’ से हासिल हुआ। इसके बाद उन्होंने करियर में आगे बढ़ते हुए ‘साधना’, ‘इंसान जाग उठा’, ‘मुझे जीने दो’, ‘खानदान’ सहित कई मूवी में बेहतरीन काम कर खूब तारीफें बटोरीं।

Posted By: National News Network

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