नेशनल न्यूज़ नेटवर्क: जोगिंदरनगर (हिमाचल प्रदेश)
हिमाचल प्रदेश के आयुष मंत्री यादविंद्र गोमा ने अनुसंधान संस्थान भारतीय चिकित्सा पद्धति जोगिन्दर नगर में आयुष विभाग और राज्य औषधीय पादप बोर्ड हिमाचल प्रदेश का स्वास्थ्य एवं स्फूर्ति के सशक्तिकरण में राष्ट्रीय अश्वगंधा (Ashwagandha)अभियान का शुभारम्भ किया। उन्होंने आयुष वृत चिकित्सालय जोगिन्दर नगर में ऑस्टियो आर्थराइटिस और अन्य मस्कुलोस्केलेटल विकार की रोकथाम और प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम और वायु मित्र योजना का भी शुभारंभ किया।
उन्होंने कहा कि हमारे देश की हर्बल धरोहर को विश्व भर में पहचान दिलाने और लोगों के स्वास्थ्य को सुधारने के लिए राष्ट्रीय अश्वगंधा अभियान अत्यंत महत्वपूर्ण है। अभियान के माध्यम से अश्वगंधा की खेती, उपयोग और उसके लाभों के बारे में व्यापक जागरूकता की जाएगी।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के लाभों को देखते हुए सरकार द्वारा आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को मुख्यधारा में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा 140 आयुर्वेदिक चिकित्सकों की विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में तैनाती की गई है। स्वास्थ्य संस्थानों को अग्रणी संस्थानों के रूप में लेकर विकसित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज आदिकाल से हो रहा है। कोरोना कॉल में इस पद्धति के माध्यम से कोरोना पीड़ित भी ठीक हुए है।
हर्बल गार्डनों को किया जाएगा सुदृढ
उन्होंने कहा कि प्रदेश के हर्बल गार्डनों को सुदृढ़ किया जाएगा ताकि वहां आयुर्वेदिक औषधियां तैयार की जाएं। इससे प्रदेश को आय भी होगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक साल के अंदर आयुष विभाग में क्रांतिकारी बदलाव होंगे ताकि प्रदेश केरल जैसे दूसरे राज्यों जहां आयुर्वेद में अच्छे काम हुए हैं के मुकाबले में आ सके।
2 लाख अश्वगंधा के पौधे होंगे वितरित
उन्होंने बताया कि अभियान के अंतर्गत आगामी मौसम में गर्म जलवायु क्षेत्रों के दस जिलों में अश्वगंधा के स्वास्थ्य उपयोगों की जागरूकता हेतु जिला आयुष अधिकारी के माध्यम से 2 लाख अश्वगंधा के पौधे वितरित किए जाएंगे। उन्होंने इस मौके पर किसानों को अश्वगंधा के पौधे भी बांटे।
अश्वगंधा आयुर्वेदिक चिकित्सा का अमूल्य हिस्सा
उन्होंने कहा कि अश्वगंधा जिसे भारतीय जिनसेंग भी कहा जाता है, हमारे आयुर्वेदिक चिकित्सा का एक अमूल्य हिस्सा है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करता है बल्कि मानसिक तनाव और चिंता को भी कम करता है। आज, जब आधुनिक जीवन शैली से उत्पन्न बीमारियां बढ़ रही हैं। अश्वगंधा जैसी औषधियां हमारे स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन बन सकती है।
26 आयुष केन्द्रों के प्रभारियों को बांटे एनएबीएच प्रमाण-पत्र
इस मौके पर उन्होंने 26 आयुष केन्द्रों के प्रभारियों को एनएबीएच (राष्ट्रीय एक्रीडेशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल) के प्रमाणीकरण के प्रमाण पत्र बांटे और कहा कि प्रदेश उत्कृष्ट आयुष स्वास्थ्य सेवाओं को प्रदान करने वाला पहला राज्य बना है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के 127 आयुष केन्द्रों को इस श्रेणी में शामिल किया गया है। शीघ्र ही अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों को उत्कृष्टता की श्रेणी में शामिल किया जाएगा।
पांच प्रकाशनों का किया अनावरण
इस मौके पर आयुष मंत्री ने पांच प्रकाशनों का अनावरण किया। जिनमें क्षेत्रीय सुगमता केन्द्र आईयूसीएन में चिन्हित संकटग्रस्त पौधों की सूची, मनरेगा में पेड़ों की खेती किए जाने वाले पौधों की सूची, ओषध पादप बोर्ड द्वारा प्रस्तावित 140 पौधों की सूची, राज्य औषध पादप बोर्ड का राष्ट्रीय अश्वगंधा अभियान का प्रकाशन तथा आयुष विभाग के ओसटियोअर्थराइटिस की रोकथाम संबंधी प्रकाशन शामिल रहे।
यह रहे उपस्थित
इस अवसर पर सचिव आयुष संदीप कदम, निदेशक आयुष डॉ निपुण जिंदल, अतिरिक्त निदेशक आयुष अमित गुलेरिया, प्रधानाचार्य आयुर्वेदिक चिकित्सा महाविद्यालय पपरोला विजय चौधरी, एसडीएम जोगिन्द्रनगर मनीष चौधरी, प्रभारी आरआइआइएसएम जोगिन्दर नगर उज्जवल दीप शर्मा, आयुष मंत्रालय के राष्ट्रीय औषधि पादप बोर्ड के उत्तर क्षेत्रीय के क्षेत्रीय निदेशक डॉ अरूण चंदन, उप निदेशक मंडी आयुष आनंदी शैली, डॉ शैली बंसल नोडल अधिकारी स्टेट मेडिसिनल प्लांट बोर्ड, जिला आयुष अधिकारी अनिल कालीया सहित अन्य जिलों से आए चिकित्सक और अन्य अतिथि उपस्थित रहे।