Natwar Singh: पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह निधन

5 महीने पहले
Natwar Singh

Natwar Singh: भारत के पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह का लंबी बीमारी के बाद शनिवार (10 अगस्त 2024) रात निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के निकट गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह 93 वर्ष के थे। उनका अंतिम संस्कार रविवार (11 अगस्त 2024) को दिल्ली में होगा।

नटवर सिंह भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-1 सरकार के दौरान 2004-05 की अवधि के लिए भारत के विदेश मंत्री थे।

सार्वजनिक जीवन में उल्लेखनीय योगदान के लिए 1984 में नटवर सिंह को देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान- पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

 

राजस्थान के शाही परिवार में जन्मे थे नटवर सिंह

नटवर सिंह का जन्म 16 मई 1931 को राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ था। उनका पूरा नाम कुंवर नटवर सिंह था और वह एक शाही परिवार से संबंधित थे। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा मेयो कॉलेज अजमेर से प्राप्त की। दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद नटवर सिंह ने इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से भी पढ़ाई की। इसके बाद वह भारतीय विदेश सेवा (IFS) में शामिल हो गए और 1953 में अपनी सेवाएं शुरू कीं।

 

IFS में 31 वर्ष का कार्यकाल

भारतीय विदेश सेवा (IFS) में 31 वर्ष का कार्यकाल रहा। उन्होंने 1953 में भारतीय विदेश सेवा अधिकारी के रूप में सेवाएं देनी शुरू कीं और अमेरिका, चीन (पेइकिंग) और संयुक्त राष्ट्र समेत कई अहम जगहों पर पदस्थापित रहे। राजनयिक के तौर पर नटवर सिंह का करियर काफी लंबा रहा। वे पाकिस्तान, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत रहे। साल 1984 में विदेश सेवा से त्यागपत्र देने के बाद नटवर सिंह कांग्रेस में शामिल हो गए।

 

एक नजर उनके करियर के प्रमुख पड़ावों पर-

1956 से 1958: पेइकिंग में रहे।

1961 से 1966: न्यूयॉर्क में भारत के स्थायी मिशन में पदभार संभाला।

1962 से 1966: यूनिसेफ के कार्यकारी बोर्ड में भारत के प्रतिनिधि के रूप में सेवाएं दीं।

1966 से 1971: पाकिस्तान में राजदूत के रूप में भी कार्य किया और तक तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यालय से जुड़े रहे। इस दौरान उन्होंने इंदिरा गांधी के विशेष सहायक के रूप में काम किया।

1971 से 1973: पोलैंड में भारत के राजदूत

1973 से 1977: यूके में भारत के उप उच्चायुक्त

1975: जमैका के किंग्स्टन में आयोजित राष्ट्रमंडल प्रमुखों की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई की।

1977: जाम्बिया में भारत के उच्चायुक्त।

1980 से 1982: पाकिस्तान में भारत के राजदूत।

1984: आठवीं लोकसभा के लिए निर्वाचित।

1984: पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

1985 से 1986: केंद्रीय इस्पात, खान और कोयला राज्य मंत्री (इस्पात विभाग), केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री (उर्वरक विभाग) ।

1986 से 1989: विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री।

1998: राजस्थान की भरतपुर लोकसभा सीट से 12वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित (दूसरा कार्यकाल) ।

1998 से 1999 और 1999 से 2000: लोक लेखा समिति के सदस्य।

1998 से 1999: विदेश मामलों की समिति और इसकी उप-समिति-I के सदस्य। विदेश मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के सदस्य।

2004 से 2005: भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-1 सरकार के दौरान की भारत के विदेश मंत्री रहें।

2008: छोड़ी कांग्रेस

विदेश मंत्री रहने के दौरान ही नटवर सिंह को ‘इराकी तेल के बदले अनाज’ घोटाले के मद्देनजर 2005 में यूपीए-1 सरकार से इस्तीफा देना पड़ा था। गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले नटवर सिंह ने 2008 में कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था।

2014: वन लाइफ इज़ नॉट इनफसे राजनीतिक मचा दिया था हंगामा

नटवर सिंह ने पाकिस्तान में राजदूत के रूप में भी काम किया और 1966 से 1971 तक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यालय से जुड़े रहे थे। नटवर सिंह ने अपनी आत्मकथा ‘वन लाइफ इज़ नॉट इनफ’ सहित कई किताबें भी लिखीं। उनकी इस किताब ने राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा दिया था। उन्होंने अपनी आत्मकथा One Life Is Not Enough में यह दावा कर सनसनी फैला दी थी कि 2004 में सोनिया गांधी ने राहुल गांधी की वजह से प्रधानमंत्री का पद नहीं संभाला। उन्होंने किताब में लिखा, “राहुल गांधी की जिद थी कि सोनिया गांधी को किसी भी सूरत में प्रधानमंत्री का पद नहीं संभालना चाहिए क्योंकि उन्हें इस बात का डर था कि उनकी मां सोनिया गांधी भी उनके पिता राजीव गांधी और दादी इंदिरा गांधी की तरह मार दी जाएंगी।’ यह सोनिया गांधी के उस बयान के बिल्कुल विपरीत था, जिसमें उन्होंने कहा था कि यह उनकी ‘अंतरआत्मा की आवाज’ थी, जिसे सुनने के बाद उन्होंने फैसला किया कि वह प्रधानमंत्री पद नहीं संभालेंगी। नटवर सिंह की आत्मकथा से उठे विवाद के बाद सोनिया गांधी को भी सफाई देनी पड़ी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह अपनी खुद की किताब लेकर आएंगी, जो ‘सच्चाई’ सामने लाएंगी।

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