नेशनल न्यूज़ नेटवर्क: शिमला
आज पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 37वीं पुण्य तिथि है। 1902 में मेरठ के एक किसान परिवार में जन्मे चौधरी चरण सिंह को मार्च, 2024 में उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।
चौधरी चरण सिंह किसान और कामगार वर्ग की दशा और दिशा बदलने का संकल्प लेकर 1929 में सक्रिय राजनीति में शामिल हुए। एक ख्यातिप्राप्त कानूनविद के रुप में उन्होंने किसान हित को सर्वोपरि रखा। वे 1937 में पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बने। उन्होंने भूमि सुधार लागू किया और किसानों को उनकी भूमि का मालिकाना हक दिलाया। उन्होंने कर्ज से दबे किसानों को राहत देने के लिए डिपार्टमेंट रिडेम्पशन बिल (1939) को तैयार किया। सन 1946, 1952, 1962 और 1967 विधान सभा में उत्तर प्रदेश की छपरौली सीट से निर्वाचित हुए। वे 1970 में उत्तर प्रदेश के 5वें मुख्यमंत्री बने।
साल 1979 में वे आज़ाद भारत के 5वें प्रधानमंत्री बने और भारत की प्रगति के लिए कृषि और लघु उद्योगों पर जोर दिया गया। उन्होंने प्रशासन में अक्षमता, भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए ठोस निर्णय लिए। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन ग्रामीण भारत के लिए समर्पित कर दिया।
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज उनके समाधि स्थल ‘किसान घाट’ पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। श्रद्धांजलि के उपरांत उन्होंने कहा कि “चौधरी चरण सिंह ईमानदारी के प्रतीक थे। किसान, गरीब और गांव का उत्थान उनके दिल में रहता था। उनकी करनी और सोच में कोई फर्क नहीं था।” स्व. चरण सिंह को “भारत मां के महान सपूत” बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब उनको भारत रत्न दिया गया तो करोड़ों लोगों ने देश-विदेश में प्रसन्नता व्यक्त की।
एक मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रुप में चरण सिंह की दूरदर्शी सोच की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन महान आत्मा के प्रति सही श्रद्धांजलि वही होगी कि उन्होंने जो पाठ पढ़ाया है – राष्ट्रवाद का, नैतिकता का, ईमानदारी का, भ्रष्टाचार रहित रहने का, सबको साथ लेकर चलने का – उसे हम अपने आचरण में उतारें।
इस अवसर पर राज्य सभा सांसद जयंत चौधरी व अन्य गणमान्य जन भी ‘किसान घाट’ पर उपस्थित रहे।
Posted By: National News Network