रमेश कंवर : शिमला
Shanan Power Project: आर्थिक संकट से घिरी हिमाचल सरकार के खजाने को शानन प्रोजेक्ट से सालाना 200 करोड़ रुपए की कमाई अनुमानित है। हिमाचल सरकार किसी भी कीमत पर शानन प्रोजेक्ट को अपने हाथ से नहीं जाने देगी। इस समय शानन प्रोजेक्ट पंजाब के अधीन है। शर्तों के अनुसार 2 मार्च, 2024 को इसकी लीज अवधि खत्म हो चुकी है।
हिमाचल सरकार ने शानन प्रोजेक्ट को वापिस लेने के लिए जबरदस्त कानूनी तैयारी की है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू खुद इस केस को देख रहे हैं। हिमाचल सरकार ने सभी कानूनी औपचारिकताएं तैयार की हैं। यही नहीं, केंद्र के संबंधित मंत्रालय को भी इस बात की जानकारी दे दी गई है कि लीज अवधि पूरी हो चुकी है और अब यह प्रोजेक्ट हिमाचल को सौंप दिया जाए।
जानिए शानन प्रोजेक्ट के बारे में
ऊहल नदी पर बना शानन प्रोजेक्ट अंग्रेजों के समय 1932 में सिर्फ 48 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता वाला था। बाद में इसकी कैपेसिटी को पंजाब बिजली बोर्ड ने बढ़ाया। शुरू होने के पचास साल बाद यानी वर्ष 1982 में शानन प्रोजेक्ट 60 मेगावाट उत्पादन वाला बनाया गया। फिर इसकी क्षमता पचास मेगावाट और बढ़ाई गई। अब ये 110 मेगावाट का है।
ब्रिटिश काल में हुआ था शानन जल विद्युत परियोजना का निर्माण
शानन जल विद्युत परियोजना का निर्माण ब्रिटिश काल के दौरान किया गया था। ब्रिटिश हुकूमत के समय के इस प्रोजेक्ट के लिए हिमाचल ने 99 साल इंतजार किया है। शानन प्रोजेक्ट के लिए मंडी रियासत के राजा जोगेंद्र सेन ने जमीन लीज पर दी थी। ब्रिटिश शासकों के साथ समझौते के अनुसार 99 साल बाद ये प्रोजेक्ट उसी धरती की सरकार को मिलना था, जहां पर ये स्थापित है। वर्ष 1925 में मंडी के तत्कालीन राजा जोगिन्द्र बहादुर और पंजाब के मुख्य अभियंता के बीच 99 वर्षों के लिए लीज़ समझौता हस्ताक्षरित हुआ था।
पंजाब पुनर्गठन एक्ट के पंजाब सरकार के पास ही रहा शानन प्रोजेक्ट
आजादी के बाद हिमाचल प्रदेश पंजाब का ही हिस्सा था। बाद में पंजाब पुनर्गठन एक्ट के दौरान शानन प्रोजेक्ट पंजाब सरकार के स्वामित्व में ही रहा। पंजाब पुनर्गठन एक्ट-1966 के तहत इस बिजली प्रोजेक्ट को प्रबंधन के लिए पंजाब सरकार को ट्रांसफर किया था। उस समय से ही इसका प्रशासनिक अधिकार पंजाब के पास है। इस वर्ष 2 मार्च, 2024 को लीज़ समाप्त हो गई है। पंजाब सरकार इस प्रोजेक्ट से हाथ नहीं धोना चाहती। पंजाब ने इसे अभी भी अपने कब्जे में रखा है।
लीज खत्म होने पर भी रोड़े अटका रही है पंजाब सरकार
अब जब लीज अवधि खत्म हो चुकी है तो पंजाब सरकार रोड़े अटकाने में लग गई है। पंजाब सरकार पूर्व की इसी नोटिफिकेशन की आड़ में बहाना बना रही है कि शानन प्रोजेक्ट सिर्फ लीज का मसला नहीं है, बल्कि पंजाब पुगर्नठन एक्ट का एक अंग है। साथ ही पंजाब सरकार ये तर्क भी दे रही है कि पुनर्गठन एक्ट का अंग होने के कारण ही शानन प्रोजेक्ट उसे दिया गया था और अब ये स्थाई रूप से पंजाब का हक है।
शानन प्रोजेक्ट को लेकर हिमाचल का पक्ष मजबूत
हिमाचल सरकार ने केंद्रीय उर्जा मंत्री को सारे दस्तावेज और संबंधित रिकॉर्ड के साथ अपनी कानूनी राय भी दे दी है। कानूनी पहलू के हिसाब से देखा जाए तो हिमाचल प्रदेश के तर्क मजबूत हैं। राज्य सरकार का तर्क है कि पूर्व में आजादी से पहले ब्रिटिश इंडिया सरकार का उत्तराधिकार अब भारत सरकार का है। वहीं, मंडी के राजा, जिन्होंने समझौता किया था, अब उसका कानूनी वारिस का हक हिमाचल सरकार का बनता है। कुल मिलाकर हिमाचल का पलड़ा मजबूत है पूर्व में शानन प्रोजेक्ट पंजाब बिजली बोर्ड को इसलिए ट्रांसफर हुआ था क्योंकि वर्ष 1966 में हिमाचल में राज्य बिजली बोर्ड अस्तित्व में नहीं था।
शानन परियोजना को वापिस लेने के लिए जारी हैं गंभीर प्रयासः मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि लीज अवधि पूरी हो चुकी है और शानन प्रोजेक्ट हिमाचल को मिलना तय है। हिमाचल का पक्ष मजबूत है। नियम व कानूनों के दायरे में ये प्रोजेक्ट हिमाचल को हर हाल में ट्रांसफर होगा। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज शिमला में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जिला मंडी के जोगिन्द्रनगर में 110 मेगावाट की शानन जल विद्युत परियोजना को लेकर जारी कानूनी लड़ाई के संदर्भ में एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इस परियोजना पर सर्वोच्च न्यायालय में प्रदेश सरकार का मामला मजबूती से प्रस्तुत करने के निर्देश दिए, ताकि प्रदेश के लोगों के हितों की रक्षा हो सके। कानूनी कार्रवाई को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार परियोजना को हासिल करने के लिए एक मजबूत मामला तैयार कर रही है।