Sonam Wangchuk: पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा कि पर्यावरणविद् सामाजिक कार्यकर्त्ता सोनम वांगचुक और लद्दाख से उनके साथ आए अन्य लोगों को छोड़ दिया गया है। अब उनके मूवमेंट पर कोई प्रतिबंध नहीं है। जांच एजेंसी की इस दलील को कोर्ट ने रिकॉर्ड पर ले लिया। इसी के साथ उन दो याचिकाओं का निपटारा कर दिया, जिनके जरिए एक्टिविस्ट और उनके साथ आए लोगों को हिरासत में लेने से जुड़े दिल्ली पुलिस कमिश्नर के निषेधात्मक आदेश को चुनौती दी गई।
‘Sonam Wangchuk के मूवमेंट पर कोई बैन नहीं’
सॉलिसिटर जनरल(एसजी) तुषार मेहता ने दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करते हुए बेंच से कहा कि सोनम को कथित तौर पर हिरासत में लिया गया, वह असल में हिरासत थी ही नहीं। वे तब भी बाहर थे, वे राजघाट गए जहां उन्होंने लगभग दो घंटे बिताए, ज्ञापन सौंपा जिसे केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है। अब वे आजाद हैं और उनके मूवमेंट को लेकर कहीं कोई प्रतिबंध नहीं है, बशर्ते वे किसी कानून का उल्लंघन न करें।
याचिकाकर्ताओं ने क्यों जताई आपत्ति
इस पर याचिकाकर्ताओं ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है। उन्हें अब दूसरी जगह पर ले जाया गया है। इसे सही बताते हुए सीनियर काउंसिल प्रशांत भूषण ने हाई कोर्ट से कहा कि उन्हें जो सूचना मिली, उसके मुताबिक, उन लोगों को राजघाट से सीधे किसी अंबेडकर भवन में ले जाया गया था। वे जंतर मंतर पर जाना चाहते थे और वहां बैठकर लद्दाख की जलवायु के बारे में लोगों को जागरूक करना चाहते थे, पर उन्हें ऐसा करने की इजाजत नहीं दी गई।
Sonam Wangchuk: 30 सितंबर की रात हुई थी गिरफ्तारी
बता दें कि सोमवार रात (30 सितंबर 2024) दिल्ली पुलिस ने सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को करीब 130 लोगों के साथ सिंघु बॉर्डर पर हिरासत में ले लिया गया है। वांगचुक अपनी 700 किलोमीटर लंबी ‘दिल्ली चलो पदयात्रा’ करते हुए हरियाणा से दिल्ली में दाखिल हुए तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया। उनके साथ लद्दाख से करीब 130 कार्यकर्ता भी दिल्ली की तरफ प्रोटेस्ट करने आ रहे थे।
Sonam Wangchuk: जानिए क्या मांगें?
सोनम वांगचुक समेत लद्दाख के करीब 120 लोगों को पुलिस ने कथित तौर पर दिल्ली बॉर्डर पर हिरासत में ले लिया था, जब वे लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर राजधानी की ओर मार्च कर रहे थे। वांगचुक की प्रमुख मांगों में लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना, जिससे स्थानीय लोगों को अपनी भूमि और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करने के लिए कानून बनाने की शक्ति मिल सके। इसके अलावा वह लद्दाख को राज्य का दर्जा और लद्दाख के लिए मजबूत पारिस्थितिक सुरक्षा की वकालत कर रहे हैं। अपनी इन मांगों को लेकर वह लेह में नौ दिनों का अनशन भी कर चुके हैं। तब उनका जोर लद्दाख की नाजुक पर्वतीय पारिस्थितिकी और स्वदेशी लोगों की सुरक्षा के महत्व पर अधिकारियों का ध्यान खींचने पर था।
बीएनएसएस की धारा 163 क्या है
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत, किसी आपातकालीन स्थिति या बड़ी परेशानी को नियंत्रित करने के लिए आदेश जारी किए जा सकते हैं। पहले इसे भारतीय दंड संहिता (सीपीसी) की धारा 144 के नाम से जाना जाता था।
कौन हैं Sonam Wangchuk?
सोनम वांगचुक शिक्षाविद और जलवायु कार्यकर्ता हैं। इनका जन्म 1 सितंबर 1966 को अलची, लद्दाख में हुआ था। वह स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख के संस्थापक-निदेशक हैं। 1993 से 2005 तक वांगचुक ने लैंडेग्स मेलॉग, जो लद्दाख की एकमात्र प्रिंटिंग पत्रिका की स्थापना की और संपादक के रूप में कार्य किया। शिक्षा में मैकेनिकल इंजीनियर वांगचुक 30 से अधिक वर्षों से शिक्षा सुधार के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। उन्हें साल 2018 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें यह पुरस्कार शिक्षा, संस्कृति और प्रकृति के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए दिया गया था। लद्दाख के लोगों के लिए वो हमेशा ही आवाज उठाते आ रहे हैं। लद्दाख के लोगों के लिए वो हमेशा ही आवाज उठाते आ रहे हैं।
थ्री इडियट फिल्म से चर्चा में आए Sonam Wangchuk
बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान की फिल्म “थ्री इडियट” सोनम वांगचुक के जीवन से प्रेरित थी। इस फिल्म के बाद वह चर्चा में आए। एनआईटी श्रीनगर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले सोनम वांगचुक शिक्षा में सुधार और लद्दाख तथा देश के विकास के लिए काम कर रहे हैं। वांगचुक ने कई आविष्कार किए हैं, जिनमें सोलर हीटेड मिलिट्री टेंट, आर्टिफिशियल ग्लेशियर और एसईसीएमओएल (SECMOL) परिसर का डिज़ाइन शामिल हैं।